Course Content किसी कार्य के करने वाला पर हुक्म लगाने के लिए निम्नांकित में किस चीज का पाया जाना आवश्यक हैः क़ारिन तथा मुफरिद के ऊपर वाजिब है कि वह केवल एक सई करें, जब्कि मुतमत्तेअ दो सई करेगा। जो सूरह फातिहा भूल जाएः बंदे के ऊपर अल्लाह से अच्छा गुमान रखना तथा जन्नक के रास्ते को अपनाना व जहन्नम के रास्ते से दूरी बनाना वाजिब है अल्लाह तआला के फरमान (تطلع على الأفئدة) का अर्थ हैः एहसान केः हम नबियों अलैहिमुस्सलात वस्सलाम को उनक उस स्थान से ऊँचा नहीं करेंगे जो स्थान अल्लाह ने उन्हों दिया है हज्ज वाजिब है नारु हामिया (نَارٌ حَامِيَةٌ ) – हम इससे अल्लाह की पनाह चाहते हैंः दुनिया के आग से कितनी गुना अधिक हैः स्नान करने के पश्चात बिना वुज़ू किए नमाज़ पढ़ लियाः इस सूरत मेंः जो फरिश्तों के वजूद का इंकार करे मानव जिन अवस्थाओं से गुजरता है नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम खड़े होकर नमाज़ पढ़ा करते थे यहाँ तक कि आप के पाँव में वरम आ जाता था इस सूरत में पुनरावृत्ति (दोहराव) लेखक महोदय की आदत है कि वह पहले संक्षिप्त रूप से उल्लेख करते हैं तत्पश्चात विस्तारपूर्वक वर्णन करते हैं जैसा कि उन्होंने चार मसले में किया है कि पहले तीन मूल आधार का संक्षिप्त रूप से ब्यान किया है तथा सविस्तार उसका वर्णन नहीं किया है सूरा आदियात में वाजिब हुकूक (अधिकारों) के हनन पर तरहीब (डराया गया) है। सदा रोज़ा ही रखनाः क्यामत के दिन अपमान किया जाएगाः तीन मूलाधार की दलील हैः इस सूरत में इस बात की तरफ इशारा है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की मृत्यु का समय समीप आ गया है। अल्लाह तआला का फरमान (ملك يوم الدين) सम्मिलित हैः अल्लाह तआला के फरमान (أشتاتًا) का अर्थ हैः जो इस हाल में मृत्यु को प्राप्त हो कि अल्लाह के सिवा किसी और को पुकारता होः पहला रुक्न (अल्लाह पर ईमान रखना) सबसे बड़ा रुक्न है अल्लाह की उतारी हुई शरीअत को छोड़कर फैसला करवाने का हुक्म क़ुरआन अल्लाह का कलाम है जो उतारा हुआ है पैदा किया हुआ नहीं है, अल्लाह की ओर से ही इसका आरंभ हुआ है तथा उसी की ओर इसे पलटना है, अल्लाह तआला ने इसके द्वारा वास्तविक रूप से कलाम किया है और इस क़ुरआन को मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर उतारा है नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने ऐसे लोगों को चेताया हो जो तफ़्सीर पढ़ते तो हैं किंतु उसमें सोच-विचार नहीं करते। इबादत वाली दुआ को अल्लाह के अलावा किसी और के अंजाम देना शिर्क -ए-ः जो स्वयं की भलाई चाहता है तथा अपनी जान की निजात व सआदत व नेकबख़्ती चाहता है उसके ऊपर वाजिब है कि वह आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की सीरत, हालत तथा तरीका को जाने ताकि वह जाहिलों की टोली से निकल कर आप के गिरोह तथा जमात में शामिल हो जाए जो भी यात्री यात्रा कर रहा है उस को ज़कात दिया जाएगा क्योंकि वह इब्ने सबील (ابن سبيل) (अर्थात मुसाफिर) के मानदंड पर खड़ा उतरता हैः इस्लमा की बुनियाद पाँच अरकान पर है यदि हमने एक भी रुक्न छोड़ दिया तो इमारत गिर जाएगी यह किस्सा हमारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नबूवत के लिए अग्रदूत के तौर पर था, क्योंकि यह एक असाधारण बात थी जो आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नबूवत के पूर्व घटित हुई। जो अल्लाह तआला की उबूदियत से निकल गया वह ……. की उबूदियत में चला गयाः इस सूरत में नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पैरोकार व मददगार के बहुतायत की दलील है। इस सूरत में चार आदेश हैं, पहले दो आदेश का पालन करके बंदा स्वयं को पूर्ण करता है, तथा अंतिम दो का पालन करके दूसरे को पूर्ण करता है। यहाँ ईमान का अर्थ है कि ग़ैर मुस्लिमों के संग मामला करने में लोगों के दो प्रकार हैंः सूरा नास पढ़ी जाती हैः (رب هذا البيت) यह मख़लूक़ (रचना) की निस्बत ख़ालिक़ (रचनाकार) की ओर है।