क़ारिन तथा मुफरिद के ऊपर वाजिब है कि वह केवल एक सई करें, जब्कि मुतमत्तेअ दो सई करेगा।
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हज्ज किस पर वाजिब है?
हज्ज के अरकान (स्तंभ) कितने हैं?
एह़राम हज्ज के अरकान (स्तंभों) में से एक रुक्न (स्तंभ) है, जो कि मीक़ात से चादर तथा लुंगी का धारण करना है।
तवाफ -ए- इफाज़ा तवाफ -ए- ज़ियारत के अलावा दूसरी चीज है, क्योंकि पहला रुक्न है तथा दूसरा सुन्नत है।
नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने तीन हज्ज किए।
हज्ज को फौरन अदा करना अपरिहार्य है।
मदीना वाले यलमयलम से एह़राम बांधेंगे।
सामयिक उमरा की मीक़ात रमज़ान मास है।
मक्का वाले हज्ज के लिए तंईम से एह़राम बांधेंगे।
महिला अपने एह़राम के लिए उजला कपड़ा धारण करेंगे।
महिला के लिए सिला हुआ वस्त्र धारण करना जायज़ नहीं है।
मुहरिम के लिए बेल्ट बांधना जायज़ नहीं है।
एहराम बांधी हुई महिला नहीं पहनेंगीः
इज़्तेबा (एहराम वाले कपड़े को केवल दाएं कंधे पर डालना एवं बायाँ कंधा खुला रखना) सुन्नत हैः
(दो धारियों के मध्य) तेज़ी से दौड़ना मुस्तह़ब है।
हाजी अरफात से मग़रिब से पहले निकलेंगे।
अरफा में ठहरना हज्ज के वाजिबात में से एक वाजिब है
अरफा में पहाड़ पर चढ़ना मशरूअ नहीं है।
मुतमत्ते तथा क़ारिन के लिए क़ुर्बानी करना वाजिब है, तथा मुफरिद के लिए सुन्नत है।
तलबिया (लब्बैक अल्लाहुम्मा लब्बैक ….) पढ़ना ईद के दिन जमरा अक़बा को कंकड़ी मारने से समाप्त होगा।
यदि हाजी कंकड़ी को खंभे में मारने के स्थान पर हौज़ में डाल दे तथा खंभे से उसका स्पर्श न हो तो भी उसका कंकड़ी मारना हो जाएगा।
हाजी दसवें दिन तीनों जमरा को कंकड़ी मारेगाः
तशरीक़ के दिनों में जमरा को कंकड़ी मारना सूर्य ढ़लने के पश्चात शुरू होगा।
जमरा अक़बा को कंकड़ी मारने के पश्चात दुआ करना मशरूअ़ है
तवाफ -ए- इफाज़ा को यदि मक्का से निकलने के समय तक विलंब करे तो यह तवाफ -ए- विदाअ के लिए भी काफी हो जाएगा, और तवाफ -ए- इफाज़ा उम्रा के तवाफ की तरह है सिवाय इज़्तेबाअ व रम्ल के।
क़ारिन तथा मुफरिद के ऊपर वाजिब है कि वह केवल एक सई करें, जब्कि मुतमत्तेअ दो सई करेगा।