जो भी यात्री यात्रा कर रहा है उस को ज़कात दिया जाएगा क्योंकि वह इब्ने सबील (ابن سبيل) (अर्थात मुसाफिर) के मानदंड पर खड़ा उतरता हैः
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एक साल गुज़र जाने की शर्त से बाहर हैः
किसी भी धन (माल) में उस समय तक ज़कात नहीं है जब तक उस पर ह़ौल (चक्र) न गुज़र जाए, और ह़ौल (चक्र) कहते हैं एक साल (वर्ष) को जो किः
सोने की ज़कात का निस़ाब (परिमाण) हैः
चाँदी की ज़कात का निस़ाब (परिमाण) हैः
बहीमतु अन्आम (चौपाया पशु) بهيمة الأنعام में ऊंट, गाय, भैंस और बकी सभी शामिल हैंः
फल में कोई ज़कात नहीं हैः
साइमा (السائمة) (चरने वाला) का अर्थ हैः
जो मबाह में चरती हो, इसका अर्थ हैः
जब मिस्कीन का उल्लेख हो तो उसमें फकीर शामिल होते हैंः
फकीर को उतना दिया जाएगा जो उस के … भर के लिए काफी होः
ज़कात जमा करने का कार्य करने वाले वो लोग हैंः
तालीफ -ए- क़ल्ब (दिलजोई) के लिए दिए जाने वाले धन का पात्र वह काफिर भी है जिसके इस्लाम क़बूल करने की आशा न हो।
मालिक यदि अपने दास को आज़ाद करता है तो उसे ज़कात दिया जाएगाः
कोई धनी किसी निर्धन से धन का मुतालबा करे फिर वह उस धन का मुतालबा करना छोड़ दे तथा समझे कि यह ज़कात है तो ऐसा करनाः
फी सबीलिल्लाह (في سبيل الله) अल्लाह के रास्ते में, इस से आश्य है सभी प्रकार की भलाई, जैसे मस्जिद इत्यादि बनानाः
नकदी की ज़कात की गणना चालीस से विभाजित करके की जाती है।
मवेशियों में से साल के अधिकतर महिनों में बाहर चरने वाले चौपायों में ज़कात फर्ज़ है, तथा वैसे जानवर जो घरेलू आवश्यकताओं (जैसे खेती-बाड़ी, बोझ ढ़ोने इत्यादि) के लिए रखे गए हों तथा जिनको चारा ख़रीद कर खिलाया जाए वैसे जानवरों में ज़कात नहीं हैः
अनाजों और फलों में ज़कात उस समय वाजिब होगी जब वो निस़ाब को पहूँच जाए, अर्थात जब अनाज तथा फल पक जाएंः
अनाज तथा फल को पटाने में यदि परिश्रम व मेहनत लगी हो तो उसमें जो ज़कात निकाली जाएगी वह उस का पाँचवा भाग होगा अर्थात समस्त फल अथवा अनाज का पाँच (5) प्रतिशत।
सोना (स्वर्ण) जब निस़ाब को पहूँच जाए तो उसमें ज़कात वाजिब है, और उस का निस़ाब 20 मिस़्क़ाल हैः
तबीआ़ उस गाय को कहते हैं जिसकी आयु दो वर्ष होः
करैंसी नोट को निस़ाब किस आधार पर तय किया जाएगा?
करैंसी नोट में कितनी ज़कात वाजिब होगी?
80 ग्राम सोने में ज़कातः
आश्रय व रहने के लिए बनाए गए घर में ज़कात वाजिब हैः
जो भी यात्री यात्रा कर रहा है उस को ज़कात दिया जाएगा क्योंकि वह इब्ने सबील (ابن سبيل) (अर्थात मुसाफिर) के मानदंड पर खड़ा उतरता हैः